SANTI NIKETAN DARAS PARAS
Material type: TextPublication details: , NAYEE KITAB 2015Description: 160p HARDCOVERISBN: 978-9382821731DDC classification: MISC\ Summary: मंजुरानी सिंह के इन लघु आलेखों को पढ़ना मेरे लिए एक रचनात्मक अनुभव की तरह था । अपने छात्रµजीवन में गुरुवर हजारी प्रसाद द्विवेदी से शान्तिनिकेतन के बारे मंे इतना सुनता रहा हूँ कि उसकी एक जीवन्त स्मृति अब भी मेरी चेतना मंे सुरक्षित है । मंजु की इन मार्मिक टिप्पणियों को पढ़ते हुए उनमंे से कई स्मृतियाँ मेरे भीतर एक–एक कर खुलती गयींµबहुत कुछ एक फिल्म की रील की तरह । गुरुदेव के बाद के शान्तिनिकेतन पर काफ’ी कुछ लिखाµपढ़ा गया है । यह पुस्तक बिना किसी दावे के एक चुपचाप ढंग से रवीन्द्रोत्तर शान्तिनिकेतन के सांस्कृतिक परिवेश पर एक टिप्पणी है µएक स्त्री सर्जक की आँखों से देखी गयी एक जीती–जागती उपस्थिति, जिसे हम आज का शान्तिनिकेतन कहते हैं । केदारनाथ सिंहItem type | Current library | Call number | Materials specified | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Arthshila Santiniketan Shelf: K3 | MISC\SHI (Browse shelf(Opens below)) | Available | BK00741 |
मंजुरानी सिंह के इन लघु आलेखों को पढ़ना मेरे लिए एक रचनात्मक अनुभव की तरह था । अपने छात्रµजीवन में गुरुवर हजारी प्रसाद द्विवेदी से शान्तिनिकेतन के बारे मंे इतना सुनता रहा हूँ कि उसकी एक जीवन्त स्मृति अब भी मेरी चेतना मंे सुरक्षित है । मंजु की इन मार्मिक टिप्पणियों को पढ़ते हुए उनमंे से कई स्मृतियाँ मेरे भीतर एक–एक कर खुलती गयींµबहुत कुछ एक फिल्म की रील की तरह । गुरुदेव के बाद के शान्तिनिकेतन पर काफ’ी कुछ लिखाµपढ़ा गया है । यह पुस्तक बिना किसी दावे के एक चुपचाप ढंग से रवीन्द्रोत्तर शान्तिनिकेतन के सांस्कृतिक परिवेश पर एक टिप्पणी है µएक स्त्री सर्जक की आँखों से देखी गयी एक जीती–जागती उपस्थिति, जिसे हम आज का शान्तिनिकेतन कहते हैं । केदारनाथ सिंह
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